Thursday, April 7, 2011

Ab chup rahe to...

अब चुप रहे तो...
आज की रुक रही है साँसे,
क्या सिर्फ मूक बने देखते जाओगे।
जो नहीं किया सामना इस पल का,
आने वाले पल को क्या समाझाओगे ।
एक चिंगारी कब तक जले अँधेरे में,
कब तुम अपना खून जलोअगे ।

अब चुप रहे तो... जीवन भर फिर पछताओगे
जो देखे सपने सुन्दर कल के,
सोते रहने से नहीं होंगे पूरे ।
चलो जागो अब नया दम भरो,
फिर शुरू करे वो काम अधूरे ।
उठो देखो नए सूरज का मंजर,
क्या अब भी सोते रह जाओगे ।

अब चुप रहे तो... अंधेरो का ही साथ पाओगे॥

जो लड़े दुनिया से तुम्हारे लिए,
तुम उस मसीहा के इंतज़ार में जिए ।
यु ही नहीं मिलती आसमानी मदद,
बिना कोई बलिदान दिए ।
जगा लो ऐसा विश्वास दिल में ,
अपनों में से ही नया मसीहा बनोगे।
अब चुप रहे तो... सब खो कर भी कुछ न फिर पाओगे

आने वाली नस्ल तुमसे जवाब मांगेगी,
क्यूँ न रोकी ये आंधी हिसाब मांगेगी।
दीवार बन जाओ मजबूत इरादों की ,
तूफानी हवा भी दामन में पनाह मांगेगी।
जब क़यामत की लहर उठेगी हर तरफ,
न फिर बंद दरवाजो में छुप पाओगे।
अब चुप रहे तो॥ कैसे खुद से नजरे मिलोगे

Dedicated to the spirit of Anna Hazare

4 comments:

  1. salaam!! that brings the spirit back to life! :)

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  2. Thanks Deshu ! spirit never goes away from you !

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  3. Shukla jee Main pehley aapko dost manta tha ab nahin ...Ab jee karta hai aapka Fan ban jaaon :)

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