To the change ( should I say rapid changes )
क्यूँ बदला बदला है सब कुछ कौन सा ये दौर है
नहीं ये नहीं , है जिसकी तलाश मुझे वो मंजिल और है
कहा है वो हवा के झूले जिनका अहसास ताजगी का तराना था
अब नहीं वो मखमली चांदनी जिसने बंधा समा सुहाना था
न रहे अब वो पुराने ठिकाने और न ही कोई नया ठौर है
नहीं ये नहीं , है जिसकी तलाश मुझे वो मंजिल और है
कभी गुजर जाती थी शाम खुशनुमा नीले आसमान के नीचे
अब है धुंआ हर तरफ लगे ज्यो गगन भी हो खडा आँखे मीचे
बढाकर वक़्त की रफ़्तार कुदरत का इशारा न जाने किस और है
हुआ है बिखराव कुछ ऐसा की अब इस जगह के दीखते नहीं छोर है
नहीं ये नहीं , है जिसकी तलाश मुझे वो मंजिल और है
पहुँच गए है वहां जहा से राह नहीं कोई वापस जाने की
दिल मान बैठा वो सारी थी बात किसी गुजरे जमाने की
सोचता हूँ बना दे इस शहर को कोई फिर पहले जैसा
पर सुनाई देता है , कल होगा बेहतर आज से का वाही पुराना शोर है
नहीं ये नहीं , है जिसकी तलाश मुझे वो मंजिल और है
Sunday, April 5, 2009
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