Visit blogadda.com to discover Indian blogs sa(u)ransh: A part of Me !: khud apna khuda banunga

Wednesday, November 17, 2010

khud apna khuda banunga

भटका गली गली उसे पाने को
पाना है मुश्किल undekhe unjaane को
वैसा नहीं कोई मिला जैसी मूरत है
नहीं पता है कैसी वो सूरत है
अपना सा ही चेहरा तुझे लगाऊंगा
अब खुद अपना खुदा बनाऊंगा

गुमो को तुने देखा पथराई आँखों से
न jhhuma तू खुशियों के बाजों पे
जो साथ मेरे हँसे और साथ रोये
तेरे दिल में सारे अहसास जगाऊंगा
अब खुद अपना खुदा बनाऊंगा

किसी ने कहा है आसमान में तेरा बसेरा
कोई कहता तुने डाला है मंदिर में डेरा
क्यों रहे तू मुझसे इतनी दूर भला
तुझे अपने पड़ोस में ही कही बसाऊंगा
अब खुद अपना खुदा बनाऊंगा

समझना अभी है तुम्हे कितना मुश्किल
राज छुपाये वेद , श्लोक और मंत्र जटिल
न जरुरत हो पूजा पाठ और तप की
सिर्फ नाम बुलाने से ही पा जाऊंगा
अब खुद अपना खुदा बनाऊंगा

3 comments:

Sidharth said...

Another gud 1 :) keep it up. Did you try contributing to any of the poetry sites?

Saurabh said...

yes the prob with bhav geeta was that it needs a hard copy !! in the age of soft copy :)

Amjad said...

Bahoot khub Lage raho