Visit blogadda.com to discover Indian blogs sa(u)ransh: A part of Me !: Shakti Aawahan : Invoking Goddess Kali

Friday, October 3, 2008

Shakti Aawahan : Invoking Goddess Kali

This is definitely the time do do the Shakti pooja as invoke the Almighty Goddess who has been a symbol of destruction for demons in Indian Mythology , this is not the time to sing songs of peace which will comfort ears and hearts , This is time when it feels that we are in war at home , every day innocent people are killed for no reason . Till the time power is not invoked and proved , we will be considered courage less , no one cares and value the mercy of a venome less snake. Today on the first of the 9 holy days , Its time when Goddess will be worshiped in entire country , I wrote following prayer to ask from her to help again in anihilation of demons .

उठो उठो है आदिशक्ति , मै करता शक्ति आवाहन माँ

एक हाँथ मै लो खडग , और दूजे मै हो कृपान माँ

तीजे मै शोभे चक्र सुदर्शन , चौथे से दो वरदान माँ

उठो उठो है आदिशक्ति , मै करता शक्ति आवाहन माँ

मासूमो का रक्त आज सरे आम यु बहता है

तेरी पुण्य भूमि पे आतंकी साया रहता है

आतंकवाद का विषधर नित अपना फन फैलाता है

साम्प्रदायिकता का विष देश की नसों मै भरता जाता है

देख ये दशा अपनों की ये जीवन रुन्भूमि अब लगता है

तेरे बच्चों के मन मै अब एक अनजाना भय बस्ता है

हो रहे है रोज ना जाने कितने ही अबोध यहाँ कुर्बान माँ

आज नही तू जागी तो कैसे होगा विश्व का उत्थान माँ

उठो उठो है आदिशक्ति , मै करता शक्ति आवाहन माँ

महिष असुर और रक्तबीज को तुने खेल मै ही संहारा है

हरने प्राण दुष्टों का , काली का रूप संवारा है

तू जो भरे हुंकार तो पूरी सत्ता भी थर्राती है

तेरा विकत तांडव देख स्वयं मृत्यु भी घबराती है

हे काल रात्रि कहलाने वाली , दिखा रूप काल के समान माँ

कर नाश भय और आतंक का , हो भक्तो का कल्याण माँ

उठो उठो है आदिशक्ति , मै करता शक्ति आवाहन माँ

हो जाती है दशों दिशाए विकल जो उतरे रन पर माँ

पृथ्वी लगे डोलने , ना टिक saktaa है शत्रु छान भर माँ

तेरी भृकुटी तनी तो चारो तरफ़ विधवंस नजार आएगा माँ

पलक झपकते ही विश्व पर महा अन्धकार छायेगा माँ

तेरे नेत्रों की तीखी जवाला ही उल्कापात बन जाती माँ

ये रक्तिम जिह्वा शत्रु को पल भर मै चाट कर जाती माँ

तेरे एक संकेत पे sari सृष्टि जल कर भस्म बन जाए माँ

समरंगन मै उतरे तो खल देख तुझे भय से ही मर जाए माँ

विजय भी तेरे पीछे अनुचरों की भाँती चलती माँ

जो हो क्रोधित तू तो फिर हर स्वांश aag उगलती माँ

तू है रुद्र की प्रतिरूप , तू असुरो का है काल माँ

तू अन्धकार मै जैसे तदित , तू ब्रम्हांड का भूचाल माँ

जब जब आर्याव्रत पे कोई भी संकट छा जाता है माँ

तेरे bachon का दिल , तुझे तरुण क्रंदन कर बुलाता है माँ

हिंसा प्रति हिंसा की ये ज्वाला अब शान्ति से नही बुझ्हेगी माँ

कर विनाश रिपु दम्भ का , तेरी खडग फिर क्रांति रचेगी माँ

सदा झूका ये शीश तेरे ही आराधन माँ

आज फिर उतरो धारा पे ले सिंह का महावाहन माँ

तुझ्हे बुलाने की खातिर फिर चाहे जाए ये जीवन बलिदान माँ

उठो उठो है आदिशक्ति , मै करता शक्ति आवाहन माँ

हे काल रात्रि कहलाने वाली , दिखा रूप काल के समान माँ

कर नाश भय और आतंक का , हो भक्तो का कल्याण माँ

उठो उठो है आदिशक्ति , मै करता शक्ति आवाहन माँ

1 comment:

Lakshmi said...

Hi,
Though weak in Hindi,could understand and relate to it...
Well written poem :)