तुम्हारे जाने के साथ ही
मुझे ये घेर लेती है
छीन के चटक रंग खवाब से
उदासी की सफेदी भर देती है

जैसे नीले असमान पर
बादलों की चादर छाई है
ये मेरी तन्हाई है, ये मेरी तन्हाई है .
पकड़ के हाथ मेरा मानो
रोक दी है रफ़्तार जिंदगी की
वक्त का अहसास अब होता है सांसो से
किसी काम की नही घडिया सुई की
जैसे दिन ढलने से पहले ही
घनी शाम घिर आयी है
ये मेरी तन्हाई है, ये मेरी तन्हाई है.
कर देती है मुझे गुम
न जाने किन यादों के शहर में
कई बार होकर भी फना
उठ जाए ज्यो दरिया की लहर ये
लगता है मेरा साथ निभाने की
इसने भी कसम खाई है
ये मेरी तन्हाई है, ये मेरी तन्हाई है.
रखती है ये ख़याल मेरा
तुम्हारे वापस आ जाने तक
ये बात नही कुछ पलों की
इस से है रिश्ता जमाने तक
तुम हो साया सुनहरी धुप का
तो ये रातों की परछाई है
ये मेरी तन्हाई है, ये मेरी तन्हाई है।
तुमसे करनी है क्या बातें
ये ही मुझे बताती है
जो भी मैंने कहा नही है अब तक
वो कहने का हौसला दिलाती है
न जाने कैसा इसका असर है
दूर रख कर भी करीब ले आयी है
ये मेरी तन्हाई है, ये मेरी तन्हाई है।
1 comment:
Great Work....
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