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Thursday, November 9, 2017

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
में बच भी जाता तो मरने वाला था

                  -- राहत इंदौरी

चारो तरफ अंधकार है
झाड़ है झंखाड़ है

गड्डा है समतल है
कीचड या दलदल है

मिटटी के टीले है
पत्थर काले नीले है

चमगाड़ो का झुंड है
बिखरे यहाँ नर मुंड है

आम या खास , सभी का घर है
ये मौत का शहर है

एक अचल ठहराव है
आसमान की तरफ झुकाव है

स्याह अँधेरी रात है
बस सन्नाटो की बात है

हादसों की डगर है
मंजिल नहीं सफर है

यह पहुँचते लगी उम्र भर है
ये मौत का शहर है

बुद्धा का ये शोध है
अटल सत्य का बोध है

पांच तत्वो का मिलन है
भय और शोक का हनन है

अविरल गति से विराम है
अंत नहीं बस कुछ आराम है

यही गीता का आधार है
नए जीवन या मुक्ति का द्वार है

दो जहा के बीच न इधर न उधर है
ये मौत का शहर है !!!
 

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