मुख पे उदासी नम ये नयन है
वेदना से व्यथित आज मन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
पग पादुका शीश मुकुट विहीन है
ना आज सुरीली मुरली की धुन है
अकेले है नीरव निर्जन वन में
न ये यमुना तट न वृन्दावन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
रहते थे जो साये के जैसे
मैया न बाबा न मित्र परिजन है
छोड़ा महल , राज , राजधानी
सूनी सी द्वारका सूना जीवन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
नन्द और यशोदा का दुलारा
जो वृज के वन का चन्दन है
न आज साथ ग्वाल बाल गौ धन
न प्यारी राधा न गोप गोपन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
जिस तीर से लिए बाली के प्राण
अब मालूम होती उसकी चुभन है
धर्म रक्षा को विनाशा जिस कुल को
उसी गांधारी के शापित वचन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
वेदना से व्यथित आज मन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
पग पादुका शीश मुकुट विहीन है
ना आज सुरीली मुरली की धुन है
अकेले है नीरव निर्जन वन में
न ये यमुना तट न वृन्दावन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
रहते थे जो साये के जैसे
मैया न बाबा न मित्र परिजन है
छोड़ा महल , राज , राजधानी
सूनी सी द्वारका सूना जीवन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
नन्द और यशोदा का दुलारा
जो वृज के वन का चन्दन है
न आज साथ ग्वाल बाल गौ धन
न प्यारी राधा न गोप गोपन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
जिस तीर से लिए बाली के प्राण
अब मालूम होती उसकी चुभन है
धर्म रक्षा को विनाशा जिस कुल को
उसी गांधारी के शापित वचन है
अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है
No comments:
Post a Comment