Visit blogadda.com to discover Indian blogs sa(u)ransh: A part of Me !: Antim Charan

Monday, June 30, 2014

Antim Charan

मुख पे उदासी नम ये नयन है
वेदना से व्यथित आज मन है

अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है

पग पादुका शीश मुकुट विहीन है
ना आज सुरीली मुरली की धुन है
अकेले है नीरव निर्जन वन में
न ये यमुना तट न वृन्दावन है

अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है

रहते थे जो साये के जैसे
मैया न बाबा न मित्र परिजन है
छोड़ा महल , राज , राजधानी
सूनी सी द्वारका सूना जीवन है

अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है

नन्द और यशोदा का दुलारा
जो वृज के  वन का चन्दन है
न आज साथ ग्वाल बाल गौ धन
न प्यारी राधा न गोप गोपन है

अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है

जिस तीर से लिए बाली के प्राण
अब मालूम होती उसकी चुभन है
धर्म रक्षा को विनाशा जिस कुल को
उसी गांधारी के शापित वचन है

अंतिम चरण है ये अंतिम चरण है 

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