जीत के भी हार जाता है कोई,
हार के भी मुस्कुराता है कोई
भले ही मिले हो सिर्फ गिले शिकवे
सब लुट जाने का जश्न मनाता है कोई
चैन न हो नसीब इसमें २ पल का
ये कैसा है अजब खेल दिल का
जागती आँखे भी सपना बुन लेती है
सपनो से कोई अपना चुन लेती है
जिंदगी की बदल जाती है हकीक़ते
आवाज तेरे दिल की मेरी धड़कने सुन लेती है
आज का ये लम्हा न सोचे कल का
ये कैसा है अजब खेल दिल का
खुशी इतनी इसमें की पागल कर दे
और पागलपन की हद तक ये गम दे
कैसे समझाए उस अहसास को हम
जिसमे किसी की हंसी भी आँखे नम कर दे
ले लिया हमने तो दर्द जमाने भर का
ये कैसा है अजब खेल दिल का
सिर्फ एक झलक पाने को तरसे नजर
नजारा कोई भी हो तुझे ही ढूंढे नजर
थम जाए ये जहा तुझे देखने के बाद
ना जाने इस चेहरे में है ये कैसा असर
बंद आँखों से भी न होता है तू ओझल सा
ये कैसा है अजब खेल दिल का
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