कही पे पहाड़ है
झाड है झंखाड़ है
सीधा चला फिर मुडा
बरसात की बूंदे पिया
रामकृष्ण की दिनचर्या है
समुद्र का शोध है
निराकार और साकार है
झाड है झंखाड़ है
Isar @ Munich |
चट्टानें यूँ खडी है
मानो जिद पे अडी है
गड्डा है समतल है
मानो जिद पे अडी है
गड्डा है समतल है
कीचड या दलदल है
चढ़ाई और ढलान है
खेत है बगान है
खेत है बगान है
रेट के टीले है
पत्थर काले नीले है
जंगल है पेड़ है
जलकुम्भी के ढेर है
गाँव है शहर है
पुल और नहर है
जलकुम्भी के ढेर है
गाँव है शहर है
पुल और नहर है
हर आम और खास से वास्ता है
यही तो नदी का रास्ता है
थिरकते पांव है
मचलता बहाव है सीधा चला फिर मुडा
कट गया और जुड़ा
कही शांत लहर है
और घूमती भंवर है
बांध से जा भिड़ा
किनारों से भी लड़ा
कही शांत लहर है
और घूमती भंवर है
बांध से जा भिड़ा
किनारों से भी लड़ा
कभी अचल ठहराव है
फिर दरिया की तरफ झुकाव है बरसात की बूंदे पिया
जिंदगी का हर पल जिया
मन की मौज पे नाचता है
यही तो नदी का रास्ता है
कृष्ण की रास है यही तो नदी का रास्ता है
राम का वनवास है
भागीरथी तपस्या है रामकृष्ण की दिनचर्या है
समुद्र का शोध है
बुद्ध का बोध है
जीवन का दर्पण है
पितरो का तर्पण है
जनसमुदाय का कुम्भ है
एकांत का दंभ है जीवन का दर्पण है
पितरो का तर्पण है
जनसमुदाय का कुम्भ है
निराकार और साकार है
क्रांति का विचार है
प्रकृति की स्वयं पर आस्था है
यही तो नदी का रास्ता है
यही तो नदी का रास्ता है
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