Visit blogadda.com to discover Indian blogs sa(u)ransh: A part of Me !: Nadi ka rasta

Wednesday, June 27, 2012

Nadi ka rasta

कही पे पहाड़ है
झाड है झंखाड़ है


Isar @ Munich
 
चट्टानें यूँ खडी है
मानो जिद पे अडी है
गड्डा है समतल है
कीचड या दलदल है
चढ़ाई और ढलान है
खेत है बगान है
रेट के टीले है
पत्थर काले नीले है
जंगल है पेड़ है
जलकुम्भी के ढेर है
गाँव है शहर है
पुल और नहर है
हर आम और खास से वास्ता है
यही तो नदी का रास्ता है

 
थिरकते पांव है
मचलता बहाव है
 सीधा चला फिर मुडा
कट गया और जुड़ा
कही शांत लहर है
और घूमती भंवर है
बांध से जा भिड़ा
किनारों से भी लड़ा
कभी अचल ठहराव है
फिर दरिया की तरफ झुकाव है
 बरसात की बूंदे पिया
जिंदगी का हर पल जिया
मन की मौज पे नाचता है
यही तो नदी का रास्ता है

कृष्ण की रास है
राम का वनवास है
भागीरथी तपस्या है
रामकृष्ण की दिनचर्या है
समुद्र का शोध है
 बुद्ध का बोध है
जीवन का दर्पण है
पितरो का तर्पण है
जनसमुदाय का कुम्भ है
एकांत का दंभ है
निराकार और साकार है
क्रांति का विचार है

प्रकृति की स्वयं पर आस्था है
यही तो नदी का रास्ता है

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